व्यक्तित्व और आपका पात्र

व्यक्तित्व और आपका पात्र


व्यक्तित्व और आपका पात्र आपको आपके जीवन की बुलंदियों पर ले जायेगा।
मानव जब जन्म लेता है, तो वो भी सभी की तरह एक जैसा और कोमल हिर्दय का होता है , लकिन जैसे जैसे वो बड़ा होता है, तो उसमे उसके भरण, पोसन, उसके शिक्षण, और समाज का प्रभाव उसपर पड़ता है, और उसका व्यक्तित्व निखर कर सांसारिक जीवन में समाज के सामने उसके पात्र के कर्मो के द्वारा परलक्षित होता है. लकिन यह उस इंसान के ऊपर निर्भर करता है, की वो समय समय पर अपने द्वारा किये गए कर्मो का लेखा जोखा रखता है या नहीं। वह अपने कर्मो को समय समय पर अच्छे तरीके से अध्यन करता है की नहीं, अगर अध्यन करता है तो, उसको अपने द्वारा किये गए कर्मो को परख कर अगर उसमे कोई त्रुटि हो तो उसमे सुधार करता है या नहीं। ये जीवन चाहे, छोटी हो या बड़ी आपको वही करना है जो सांसारिक रूप से सर्वमान्य हो. आपका पात्र किसी महान पुरुष की तरह होना चाहिए। आपका कर्म ऐसा होना चाहिए की लोग आपको युग युगांतर तक याद रख सके. आपके कर्मो के द्वारा जब कोई भी प्राणी चाहे, वो मानव, जीव जंतु या कोई और प्राणी जगत हो, आपके कर्मो से किसी को दुःख नहीं होना चाहिए। ये जीवन ईश्वर का दिया हुआ है, आपको कोई हक़ नहीं बनता है की आप की भी इस सांसारिक प्राणी जगत को जाने या अनजाने में हानि पहुंचे। आपका जीवन सफल तब माना जायेगा जब आप खुद को खुश रखते हुए दूसरे प्राणी मात्र नहीं वरन संपूर्ण संसार के जीवो का ख्याल रखें, ईश्वर आपको असीम सुख व साधन से नवाजेगे. और यही आपका व्यक्तित्व और आपका पात्र समाज को दिखलायेगा। लेख़क: लोकेश कुमार सिंह

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